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सिंधु जल विवाद की सच्चाई: पाकिस्तान की गलतफहमी भारत की सिंधु नीति और पाकिस्तान की चिंताएंसिंधु का पानी रोकने की असली कहानी

आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौते पर रोक लगा दी है

By राज कुमार कुशवाहा 

आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौते पर रोक लगा दी है. इस फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ही जगहों की प्रतिक्रिया तल्ख है. पाकिस्तान को डर है कि पानी रुकने की वजह से उसके देश के लोग प्यासे मर जाएंगे तो भारत में भी कुछ जानकार ऐसे हैं जो कह रहे हैं

कि भारत भले ही समझौता रद्द कर दें, लेकिन अभी वो पाकिस्तान का पानी रोक ही नहीं पाएगा.

भारत के पास पानी रोकने की क्षमता नहीं है. क्या सिंधु जल समझौते को रोकने की असल कहानी सिर्फ इतनी ही है कि पाकिस्तान का पानी रोक दिया जाए या फिर इस समझौते को रोककर भारत ने वो हासिल कर लिया है, जिसे पाने में ये समझौता बड़ी बाधा बन रहा था.

जल्द पूरे होंगे भारत के रुके हुए प्रोजेक्ट्स

यह सच्चाई है कि भारत के पास ऐसे जलाशय नहीं हैं कि वो पाकिस्तान जाने वाला पानी रोक दे और उसे अपने पास स्टोर कर ले. ऐसे में अभी इस फैसले का पाकिस्तान पर कोई त्वरित असर नहीं होने वाला है, लेकिन इस समझौते के रुकने की वजह से भारत के कई रुके हुए प्रोजेक्ट्स अब जल्द ही पूरे हो जाएंगे. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है वही जम्मू-कश्मीर जहां पांच प्रोजेक्ट्स के जरिए भारत सरकार चार हजार मेगावाट की बिजली बनाने की तैयारी कर रही है.

इस बिजली को बनाने के लिए भारत सरकार को कुल पांच हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट पूरे करने हैं. ये पांच पावर प्लांट्स हैं बुरसार, दुलहस्ती, सवालकोट, उरी और किरथाई हैं. बुरसार पावर प्लांट की क्षमता 800 मेगावाट की है. दुलहस्ती की क्षमता 260 मेगावाट की है. सवालकोट की क्षमता 1856 मेगावाट, उरी की 240 मेगावाट और किरथाई की क्षमता 930 मेगावाट की है.

अब भारत को नहीं लेनी पड़ेगी किसी की मंजूरी

इन सभी पावर प्लांट्स का काम शुरू हो चुका है, लेकिन इसके पूरा होने में सबसे बड़ी अड़चन सिंधु जल समझौता था. क्योंकि इन पावर प्रोजेक्ट्स को मुकम्मल करने के लिए पाकिस्तान से भी मंजूरी लेनी पड़ती थी और पूरा काम विश्व बैंक की निगरानी में होता था क्योंकि समझौते की शर्तें ही ऐसी थीं. अब जब भारत ने इस समझौते पर रोक लगा दी है तो इसे अपने पावर प्लांट्स पूरा करने के लिए न तो पाकिस्तान का मुंह देखना है और न ही विश्व बैंक का. लिहाजा इन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए मंजूरी लेने में जो वक्त बर्बाद हो रहा था, वो अब नहीं होगा और अगले तीन से पांच साल के बीच भारत अपने इन पांच पावर प्रोजेक्ट्स को पूरा करके जम्मू-कश्मीर के लिए अलग से चार हजार मेगावाट की बिजली तैयार हो जाएगी.

सवालकोट समेत कई प्रोजेक्ट पर हो रहा काम

इन पांच पावर प्रोजेक्ट्स में से उरी 2 प्रोजेक्ट झेलम नदी पर बन रहा है, जबकि बाकी के चार पावर प्रोजेक्ट्स चेनाब वैली में बनने हैं. इन सभी प्रोजेक्ट्स में सवालकोट सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसके लिए रामबन जिले में चिनाब नदी पर 192.5 मीटर का बांध बनना है. दुलहस्ती भी किश्तवाड़ जिले में चिनाब पर ही बन रहा है, जो एक अंडरग्राउंड पावर प्लांट होगा

किश्तवाड़ में ही चिनाब पर बन रहे बुरसार के जरिए न सिर्फ बिजली बनेगी, बल्कि इससे पानी को भी स्टोर किया जा सकेगा और इसके जरिए पानी के बहाव को नियंत्रित भी किया जाएगा. उरी 2 पावर प्लांट बारामुला जिले में झेलम नदी पर बन रहा है, जो उरी 1 का एक्सटेंशन है.

किरथाई चेनाब पर बन रहा है. ये भी किश्तवाड़ में ही है.

इसके अलावा और भी जो प्रोजेक्ट्स जो सिर्फ फाइलों में इसलिए दफ्न हो गए क्योंकि उनको पूरा करने में सिंधु जल समझौता आड़े आ रहा था, अब उनपर भी नए सिरे से काम शुरू होगा. इतना तो तय है कि सिंधु जल संधि रोकने का पाकिस्तान पर असर पड़ेगा ही पड़ेगा, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगेगा. इस वक्त में भारत अपने प्रोजेक्‌ट्स पूरा करके खुद को इतना तैयार कर लेगा कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान को कितना पानी मिलेगा और कितना नहीं, ये तय भारत करेगा कोई और नहीं

सोनू विश्वकर्मा

लाले विश्वकर्मा, "गूँज सिंगरौली की" डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक और संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव है और वे निष्पक्ष एवं जनसेवा भाव से समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं।

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