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डिप्टी कलेक्टर का पद गया, तहसीलदार बने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एक गलती ने बदली जिंदगी

अमरावती: आंध्र प्रदेश में एक बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक डिप्टी कलेक्टर को डिमोट कर दिया है। उन्हें तहसीलदार के पद पर वापस भेज दिया गया है

By जिला – कार्यालय 

अमरावती: आंध्र प्रदेश में एक बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक डिप्टी कलेक्टर को डिमोट कर दिया है। उन्हें तहसीलदार के पद पर वापस भेज दिया गया है। यह कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना की थी। उन्होंने गुंटूर जिले में झुग्गी-झोपड़ियों को जबरन हटा दिया था, जिससे कई लोग बेघर हो गए थे।

कोर्ट ने उन पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है-

यह फैसला जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की बेंच ने सुनाया। डिप्टी कलेक्टर ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी पाया था और 2 महीने की साधारण कैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि कानून की महिमा सजा देने में नहीं, बल्कि माफ करने में है। कोर्ट ने यह भी कहा कि डिप्टी कलेक्टर के अड़ियल और लापरवाह रवैये के कारण उनके बच्चों और परिवार को भुगतना नहीं चाहिए। अगर उन्हें 2 महीने की सजा होती है, तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा, जिससे उनके परिवार की रोजी-रोटी छिन जाएगी। इसलिए, कोर्ट ने उनकी सजा को कम करने का फैसला किया। कोर्ट ने कहा कि एक संदेश देने की जरूरत है। इसलिए, उन्हें डिमोट किया जा रहा है और उन पर जुर्माना लगाया जा रहा है।

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कोर्ट से नरमी बरतने की अपील की

कोर्ट ने यह भी कहा कि जब कोई संवैधानिक न्यायालय या कोई अन्य न्यायालय कोई निर्देश जारी करता है, तो हर प्राधिकारी को, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसका पालन करना चाहिए। कोर्ट के आदेश की अवहेलना कानून के शासन की नींव पर हमला है, जिस पर लोकतंत्र आधारित है। डिप्टी कलेक्टर की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट से नरमी बरतने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि डिप्टी कलेक्टर और उनका पूरा परिवार सड़क पर आ जाएगा।

कोर्ट ने सुना दिया

उन्होंने यह भी कहा कि डिप्टी कलेक्टर के दो बच्चे 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं और वे अपनी शिक्षा जारी रखने में सक्षम नहीं होंगे और उनका करियर बर्बाद हो जाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि डिप्टी कलेक्टर को यह सब तब सोचना चाहिए था जब उन्होंने झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़ा और उनके सामान के साथ उन्हें सड़क पर फेंक दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर डिप्टी कलेक्टर मानवीय दृष्टिकोण की उम्मीद करते हैं, तो उन्हें अमानवीय तरीके से काम नहीं करना चाहिए था।

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सोनू विश्वकर्मा

लाले विश्वकर्मा, "गूँज सिंगरौली की" डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक और संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव है और वे निष्पक्ष एवं जनसेवा भाव से समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं।

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