Singrauli News – जयंत चौकी बनी काले कारोबार का अड्डा: कोयला, डीजल और कबाड़ माफिया बेलगाम, पुलिस बनी मूकदर्शक
सिंगरौली जिले के जयंत चौकी क्षेत्र में कोयला, डीजल और कबाड़ के अवैध कारोबार ने एक संगठित अपराध के रूप में जड़ें जमा ली हैं

By सोनू विश्वकर्मा
सिंगरौली जिले के जयंत चौकी क्षेत्र में कोयला, डीजल और कबाड़ के अवैध कारोबार ने एक संगठित अपराध के रूप में जड़ें जमा ली हैं। हालात ऐसे हैं कि मानो जयंत पुलिस चौकी माफियाओं के “कार्यालय” में तब्दील हो गई हो। चौकी की भूमिका अब कानून व्यवस्था संभालने की नहीं, बल्कि माफियाओं को सुरक्षा कवच देने की बन चुकी है।
सूत्रों की मानें तो यह
काला कारोबार किसी सामान्य गिरोह का नहीं, बल्कि “साहब” के दो कारखासों द्वारा चलाया जा रहा है, जिन्हें साहब का “आशीर्वाद” प्राप्त है। इन कारखासों को खुलेआम डीजल, कोयला और कबाड़ की चोरी कराने की छूट दे दी गई है। एलसीएल सहित अन्य परियोजनाओं में माफिया दिनदहाड़े लूट मचा रहे हैं और जब कोई सवाल उठता है तो जवाब मिलता है — “जो होगा देखा जाएगा।”
स्थानीय लोगों में आक्रोश है,
पर चौकी के अंदर माफियाओं का इतना बोलबाला है कि आम जनता की आवाज़ दबा दी जाती है। चौकी प्रभारी की प्राथमिकता अब अपराध रोकना नहीं, माफियाओं की मेहमाननवाजी करना हो चुकी है। चौकी परिसर में माफियाओं का जमावड़ा आम हो गया है।
नए चौकी प्रभारी के आते ही खुल गईं काले कारोबार की राहें
स्थानीय निवासियों और पुलिस सूत्रों का कहना है कि जबसे नए प्रभारी ने पदभार संभाला है, तबसे कबाड़, कोयला और डीजल की चोरी सहित अन्य अवैध गतिविधियों को पूरी छूट मिल गई है। चौकी क्षेत्र में इन मामलों में न तो कोई गिरफ्तारी हुई है और न ही कोई सख्त कार्रवाई। सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर यह क्षेत्र कोयला व डीजल चोरी का गढ़ माना जाता है, तो फिर बीते महीनों में एक भी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
पुलिस मुख्यालय की चुप्पी पर भी सवाल
परेशानी की बात यह है कि यह सबकुछ पुलिस मुख्यालय की जानकारी में होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यदि चौकी प्रभारी को खुला संरक्षण नहीं मिला होता, तो अब तक कई कार्रवाइयाँ हो चुकी होतीं। इससे यह संदेह और गहराता है कि माफियाओं और अधिकारियों के बीच सांठगांठ है।
जनता में असंतोष, प्रशासन से जांच की मांग
जयंत क्षेत्र की जनता अब खुलकर सवाल कर रही है — क्या सिंगरौली पुलिस सिर्फ रसूखदारों की रक्षा के लिए है? क्या जनता की आवाज़ को अनसुना करने का नया तरीका यही है कि माफियाओं को चौकी का संरक्षण दे दिया जाए? जनता का कहना है कि जब तक जिले के पुलिस अधीक्षक इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, तब तक यह भ्रष्टाचार और अपराध ऐसे ही फलता-फूलता रहेगा।
पुलिस अधीक्षक से न्याय की उम्मीद
सिंगरौली पुलिस अधीक्षक को इस मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल प्रभाव से जांच शुरू करनी चाहिए। जिन पुलिसकर्मियों ने चौकी को माफियाओं का अड्डा बनने दिया, उन पर न केवल विभागीय जांच होनी चाहिए बल्कि यदि दोष सिद्ध होता है तो सस्पेंड किया जाए। वरना सिंगरौली पुलिस की “स्वस्थ और साफ” छवि धूमिल हो जाएगी।