जम्मू कश्मीरदेश-विदेशपहलगाम में हुए आतंकी हमले

कराची की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं गरीबी और बुनियादी सुविधाओं की कमी

पाकिस्तान इस वक्त चौतरफा संकट से जूझ रहा है. मुल्क पहले ही गहरे आर्थिक संकट में डूबा है. महंगाई चरम पर है, विदेशी कर्ज सिर चढ़कर बोल रहा है,

By लाले  विश्वकर्मा 

पाकिस्तान इस वक्त चौतरफा संकट से जूझ रहा है. मुल्क पहले ही गहरे आर्थिक संकट में डूबा है. महंगाई चरम पर है, विदेशी कर्ज सिर चढ़कर बोल रहा है, और आम लोगों के लिए दो वक्त की रोटी भी चुनौती बन चुकी है. सियासी हालात भी संभलने का नाम नहीं ले रहे, और अब सुरक्षा के मोर्चे पर भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं.

हाल ही में भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद,

नई दिल्ली ने सिंधु जल संधि पर रोक लगाने का बड़ा फैसला लिया, जिससे पाकिस्तान के जल संकट पर गहरा असर पड़ा है. उधर, कराची में हुए एक जल आपूर्ति पाइपलाइन धमाके ने रही-सही कसर पूरी कर दी. जिस पानी को लोग सहेज-सहेजकर इस्तेमाल कर रहे थे, वो भी नालियों में बह गया.

कराची यूनिवर्सिटी में फटा 84 इंच का मेन पाइप

मंगलवार को कराची यूनिवर्सिटी के भीतर एक बड़ा हादसा हुआ. यहां 84 इंच व्यास वाली मेन वॉटर पाइपलाइन में रिसाव के बाद पूरा इलाका पानी में डूब गया. ये पाइप कराची वॉटर एंड सीवरेज कॉरपोरेशन (KWSC) की जल आपूर्ति व्यवस्था का हिस्सा थी. रिसाव इतना जबरदस्त था कि पानी यूनिवर्सिटी के फैकल्टी हाउस और स्टाफ क्वार्टर तक घुस गया.

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40 फीसदी पानी की कटौती तय

इस पाइपलाइन से कराची के बड़े हिस्से में पानी की सप्लाई होती है. अब जब यह फट गई है, तो शहर को अगले 96 घंटे तक 40 फीसदी पानी की कटौती झेलनी होगी. यानी जिन इलाकों को रोजाना पानी मिलता था, वहां अब हाहाकार मचना तय है. लियाकताबाद, नाज़िमाबाद, लांधी, कोरंगी, ओल्ड सिटी एरिया, चनासर टाउन और पीएएफ बेस मसरूर जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. कराची को रोजाना करीब 1200 मिलियन गैलन पानी की जरूरत होती है, लेकिन अब यह घटकर सिर्फ 400 मिलियन गैलन रह जाएगी. KWSC ने धाबेजी पंपिंग स्टेशन से सप्लाई रोक दी है और मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है.

भारत की सख्ती, पाकिस्तान की लाचारी

इस जल संकट की टाइमिंग भी पाकिस्तान के लिए बेहद खराब रही. कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यानी अब भारत जलस्रोतों पर नियंत्रण और सख्त करेगा। ऐसे में पाकिस्तान के पास जो थोड़ा बहुत पानी है, वही अगर रिस कर नालियों में बह जाए, तो उसके पास बचता ही क्या है? ये हालात पाकिस्तान के बुनियादी ढांचे की पोल खोलते हैं. न जल नीति है, न रखरखाव की व्यवस्था

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सोनू विश्वकर्मा

लाले विश्वकर्मा, "गूँज सिंगरौली की" डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक और संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव है और वे निष्पक्ष एवं जनसेवा भाव से समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं।

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