MP में वाहन चेकिंग के लिए नई गाइडलाइन जारी अब ऐसे होगी चेकिंग, जानिए 8 जरूरी बातें
मध्यप्रदेश में अक्सर वाहन चेकिंग को लेकर विवाद और अवैध वसूली की शिकायतें सामने आती रहती हैं

By लाले विश्वकर्मा
मध्यप्रदेश में अक्सर वाहन चेकिंग को लेकर विवाद और अवैध वसूली की शिकायतें सामने आती रहती हैं। इसे देखते हुए परिवहन विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए नई गाइडलाइन जारी की है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर द्वारा जारी इन निर्देशों में 8 अहम बिंदु शामिल हैं जिनका पालन अनिवार्य होगा। आदेश की अवहेलना पर संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।

1. अधिकारी की मौजूदगी अनिवार्य
अब वाहन चेकिंग केवल तब की जा सकेगी जब मौके पर सहायक परिवहन उप निरीक्षक स्तर का अधिकारी उपस्थित हो। बिना अधिकृत अधिकारी के कोई भी चेकिंग कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।
2. वर्दी और नेम प्लेट अनिवार्य
चेकिंग के समय सभी स्टाफ को वर्दी में रहना अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही सभी के पास नेम प्लेट होना भी जरूरी होगा जिससे उनकी पहचान स्पष्ट रहे।
3. निजी व्यक्तियों की भागीदारी प्रतिबंधित
चेकिंग प्रक्रिया में किसी भी निजी व्यक्ति की भागीदारी पूरी तरह से प्रतिबंधित की गई है। चालान की प्रक्रिया केवल POS मशीन के माध्यम से की जाएगी जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
4. एक बार में केवल एक वाहन की जांच
चेकिंग यूनिट एक समय में केवल एक वाहन को ही रोकेगी और उसकी पूरी जांच होने के बाद ही अन्य वाहन को रोका जाएगा। बिना कारण 15 मिनट से अधिक किसी वाहन को रोकने पर कार्रवाई की जाएगी।
5. रात में चेकिंग के लिए सुरक्षा उपाय जरूरी
रात के समय चेकिंग केवल वहीं होगी जहां पर्याप्त रोशनी हो। अंधेरे में जांच के लिए स्टाफ के पास LED बैटन और Reflective जैकेट होना जरूरी है। इससे दुर्घटनाओं से बचाव होगा।
6. बॉडी वॉर्न कैमरा से होगी निगरानी
चेकिंग के दौरान कम से कम दो बॉडी वॉर्न कैमरा चालू हालत में रहने चाहिए, जिनमें से एक लाइव मोड में हो। पूरी कार्रवाई कैमरे में रिकॉर्ड होनी चाहिए, जिससे भविष्य में शिकायत की जांच आसान हो।
7. कैमरों की बैटरी और स्टोरेज की व्यवस्था
सुनिश्चित किया जाएगा कि बॉडी वॉर्न कैमरे पूरी तरह चार्ज हों और उनमें पर्याप्त स्टोरेज मौजूद हो। यह जिम्मेदारी यूनिट प्रभारी की होगी।
8. विवाद की स्थिति में कैमरे में रिकॉर्डिंग अनिवार्य
अगर चेकिंग के दौरान ड्राइवर या किसी व्यक्ति से विवाद होता है, तो पूरी घटना कैमरे में रिकॉर्ड की जाएगी। इससे वरिष्ठ अधिकारी मामले की वास्तविकता समझ सकेंगे और निष्पक्ष निर्णय लिया जा सकेगा।