सिंगरौली में आबकारी विभाग की भूमिका पर सवाल आबकारी विभाग पर अवैध शराब के कारोबार को बढ़ावा देने के आरोप जिम्मेदार अफसरों की चुप्पी पर सवाल
सिंगरौली जिले में अवैध शराब बिक्री का नेटवर्क अब खुलकर शहर से गांव तक फैल चुका है, और इस पूरे खेल में आबकारी विभाग के अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

By लाले विश्वकर्मा
सिंगरौली जिले में अवैध शराब बिक्री का नेटवर्क अब खुलकर शहर से गांव तक फैल चुका है, और इस पूरे खेल में आबकारी विभाग के अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप है कि गली-मोहल्ले में खुलेआम बिक रही देशी और विदेशी शराब पर जिम्मेदार अफसर कार्रवाई करने के बजाय मोटी रकम लेकर आंख मूंदे बैठे हैं।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों का कहना है
कि हर अवैध दुकान से लाखों रुपये महीना वसूला जाता है, ताकि आबकारी विभाग कोई कार्रवाई न करे। इस तरह का आरोप सिर्फ हवा में नहीं है, कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं, जिनमें खुलेआम शराब की बिक्री दिखाई गई है।
‘शराब के कारोबार में संरक्षण’ का बन चुका है सिस्टम
जिले भर में यह चर्चा आम है कि आबकारी विभाग का पूरा सिस्टम मिलीभगत पर आधारित हो गया है। जिन अवैध दुकानों पर कार्रवाई होनी चाहिए, वे आराम से संचालित हो रही हैं। विभाग के जिम्मेदार अधिकारी न तो मीडिया को जवाब देते हैं और न ही शिकायतों पर कोई संज्ञान लेते हैं। इसके उलट, जब भी अवैध शराब की बात उठती है, सारा दोष पुलिस विभाग पर डाल दिया जाता है एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया, “हमने कई बार शिकायत की, वीडियो और फोटो भी भेजे, लेकिन न कोई छापा पड़ा और न कोई जब्ती हुई। इससे साफ है कि ऊपर से लेकर नीचे तक मिलीभगत है।”
कहां है कानून का डर? कब जागेगा प्रशासन?
सवाल यह भी उठता है कि अगर इतनी स्पष्ट जानकारी और डिजिटल साक्ष्य के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है, तो क्या सिंगरौली में कानून का राज खत्म हो चुका है? क्या विभागीय अफसरों की जवाबदेही तय नहीं होगी? इस अव्यवस्था का सबसे बड़ा नुकसान युवाओं और गरीब तबके को हो रहा है, जो सस्ती और जहरीली शराब के चंगुल में फंस रहे हैं। दूसरी ओर, प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व मौन धारण किए हुए हैं, जिससे जन आक्रोश लगातार बढ़ रहा है।
मांग: निष्पक्ष जांच और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए
क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और हर अवैध दुकान पर त्वरित कार्रवाई की जाए। साथ ही, जिन अफसरों ने अपनी जवाबदेही से बचने के लिए चुप्पी साध रखी है, उन्हें हटाया जाए। सिंगरौली में अवैध शराब बिक्री से जुड़ा यह मामला केवल अवैध व्यापार का नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता और जवाबदेही के अभाव का प्रतीक बन चुका है।