जनता के विश्वास के साथ धोखा, वादों पर नहीं हुआ अमल….
सिंगरौली महापौर रानी अग्रवाल का 'वचन पत्र' बना छलावा...

सिंगरौली महापौर रानी अग्रवाल का ‘वचन पत्र’ बना छलावा…
जनता के विश्वास के साथ धोखा, वादों पर नहीं हुआ अमल….
सिंगरौली आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता और नगर निगम सिंगरौली की महापौर रानी अग्रवाल का “वचन पत्र” अब जनता के लिए एक छलावा साबित हो रहा है। चुनाव से पहले जनता को सुनहरे सपने दिखाए गए, वादों की झड़ी लगाई गई, लेकिन समय बीतने के साथ वचनों की जगह ‘विस्मृति’ और ‘व्यक्तिगत स्वार्थ’ ने ले ली। जनता अब यह पूछने लगी है क्या ये वचन सिर्फ सत्ता पाने का साधन थे..
वचन पत्र बना ‘कागज़ी घोषणा’, जमीनी हकीकत गायब…
जब रानी अग्रवाल ने नगर निगम महापौर पद के लिए चुनाव लड़ा था, तब उन्होंने जनता के सामने एक विस्तृत वचन पत्र जारी किया था। उस वचन पत्र में नगर की मूलभूत समस्याओं से जुड़ी कई घोषणाएँ की गई थीं, जिनमें शुद्ध पेयजल, टैक्स माफी, महिलाओं की सुविधा, सफाई कर्मचारियों का कल्याण आदि शामिल थे। लेकिन अब, दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इन वादों में से अधिकांश अधूरे हैं या पूरी तरह लागू नहीं हुए हैं।
आइए डालते हैं वादों पर एक नजर और उनकी वर्तमान स्थिति..?
1. 24×7 सहायता हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा..?
हकीकत आज तक कोई समर्पित और सुचारू रूप से कार्यरत 24×7 हेल्पलाइन नंबर जारी नहीं हुआ है। शिकायतों का निवारण या संवाद के लिए नागरिकों को या तो निगम के चक्कर काटने पड़ते हैं या सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़ता है।
2. हाउस टैक्स माफ किया जाएगा..
हाउस टैक्स की माफी की कोई अधिसूचना अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है। नगर निगम द्वारा अब भी नियमित रूप से टैक्स वसूली की जा रही है। उल्टा, लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं।
3. हर घर को प्रतिमाह 20,000 लीटर शुद्ध पेयजल मुफ्त…
न शुद्ध पेयजल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हुई और न ही “फ्री” जल योजना का कोई व्यावहारिक क्रियान्वयन हुआ। आज भी कई वार्डों में सप्ताह में एक बार भी पानी नहीं पहुंचता।
4. महिलाओं और छात्र-छात्राओं के लिए निःशुल्क शहरी बस सेवा…
शहरी बस सेवा खुद ही पूरी तरह से चरमराई हुई है। ना तो बसे पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं और ना ही महिलाओं/छात्रों के लिए मुफ्त यात्रा योजना शुरू हुई।
5. महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट्स…
कुछ स्थलों पर प्रस्तावित “पिंक टॉयलेट्स” की घोषणा हुई थी लेकिन ज़मीन पर निर्माण या संचालन की कोई पुष्टि नहीं है। अधिकांश सार्वजनिक स्थलों पर आज भी महिलाओं के लिए शौचालय की भारी कमी है।
6. घरेलू सहायक कर्मचारियों के लिए हेल्पलाइन और शिकायत निवारण प्रकोष्ठ…
इस दिशा में कोई स्पष्ट नीति या व्यवस्था न नगर निगम की वेबसाइट पर मौजूद है और न ही जनता को इसकी जानकारी है। यह वादा भी पूरी तरह से ठंडे बस्ते में पड़ा है।
7. सफाई कर्मचारियों के लिए पृथक इंश्योरेंस व कार्य दिवस के दौरान मृत्यु पर ₹10 लाख अनुदान…?
नगर निगम ने अब तक किसी भी सफाईकर्मी को बीमा सुविधा या मृत्यु होने पर ₹10 लाख का मुआवजा देने की कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की है। सफाईकर्मियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और वेतन को लेकर अब भी गंभीर उपेक्षा देखी जाती है।
जनता की नाराजगी और सवाल…?
रानी अग्रवाल से जनता का यह सीधा सवाल है की जब वादे निभाने की नीयत नहीं थी तो जनता से इतने वादे क्यों किए गए? नगर निगम के कार्यकाल का यह हिस्सा अब तक भ्रम, असहायता और अव्यवस्था का पर्याय बनता जा रहा है। आम आदमी पार्टी को ‘साफ नीयत और साफ राजनीति’ की पार्टी बताने वाली रानी अग्रवाल के प्रशासन में न तो पारदर्शिता दिखती है, न जवाबदेही। रानी अग्रवाल द्वारा जारी किया गया वचन पत्र अब सिर्फ एक दस्तावेज बन कर रह गया है जिसकी कोई प्रशासनिक या नैतिक हैसियत नहीं रही। जनता को अब उम्मीद नहीं, जवाब चाहिए।क्या अगले चुनाव तक भी ये वादे पूरे होंगे? या फिर अगली बार एक नया वचन पत्र जारी कर पुरानी भूलों को भुला दिया जाएगा?