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दशकों से बह रहे कोयला को लेकर एनसीएल और प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी पर खड़े हो रहे सवाल

महावीर कोल वासरी के दूषित पानी से जमीनों पर दुष्प्रभाव  

महावीर कोल वासरी के दूषित पानी से जमीनों पर दुष्प्रभाव  

दशकों से बह रहे कोयला को लेकर एनसीएल और प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी पर खड़े हो रहे सवाल

सिंगरौली । गोरबी चौकी क्षेत्र अंतर्गत एनसीएल की गोरबी कोयला खदान संचालित है, जहां महावीर कोल वासरी कोयला धुलाई का काम दशकों से कर रहा है। काले पानी से नौढ़िया और महदेइया के लोगो की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ गई है।

महावीर कोल वासरी का गंदा पानी इतना बढ़ गया कि अब वह नाले में तब्दील हो रही है। इससे लोगों की समस्या बढ़ने के साथ-साथ जमीन भी बंजर हो रही हैं। कोल वाशरी संचालन में सुरक्षा नियमों का भी पालन नहीं हो रहा। बता दें कि गोरबी ब्लॉक बी खदान के चलते वैसे भी इलाके में जल स्तर पाताल लोग पहुंच गया है। वहीं महावीर कोल वासरी से निकलने वाले कोयला युक्त पानी में खतरनाक रसायन होंने की चर्चा लोगों की चिंता जरूर बढ़ा रही हैं। कहते हैं कि यही वजह है कि पानी का रंग काला दिखाई देता है। गांव वालों का कहना है कि यहां पानी पीने लायक तक नहीं बचा है। हालांकि मजबूरी में छानकर लोग मुॅह धोने के साथ पीने को भी मजबूर है। ग्रामीणों का आरोप हैं की महावीर कोल वासरी ने निकला कोयला कई एकड़ खेतों में पहुंच गया है, धूप होने पर कोयला का डस्ट पूरे इलाके में उड़कर घर और पेड़-पौधों पर पहुंच रही है। वही वासरी स्थापित करने से पहले पर्यावरणीय मंजूरी लेना अनिवार्य रहता है। जिसमें वायु, जल और भूमि प्रदूषण नियंत्रण प्राप्त करना संचालक की रहती है। वासरी संचालकों पर पर्यावरण विभाग का नियंत्रण रहता है लेकिन कोल वासरी से निकला काला पानी देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदारों ने प्रदूषण और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के प्रति कितना संजीदगी दिखाई ।

सोनू विश्वकर्मा

लाले विश्वकर्मा, "गूँज सिंगरौली की" डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक और संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव है और वे निष्पक्ष एवं जनसेवा भाव से समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं।

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