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अंदर से लेकर बाहर तक साफ-सफाई का अभाव, नालियां भी क्षतिग्रस्त, झाड़ियों का अम्बार, अधिकारी अनजान

मयखाने का अड्डा बन रहा लोनिवि का उच्च विश्राम गृह

मयखाने का अड्डा बन रहा लोनिवि का उच्च विश्राम गृह

अंदर से लेकर बाहर तक साफ-सफाई का अभाव, नालियां भी क्षतिग्रस्त, झाड़ियों का अम्बार, अधिकारी अनजान

सिंगरौली । कलेक्ट्रोरेट से चन्दकदम दूर स्थित सर्किट हाउस धीरे-धीरे बदहाल हो रहा है। सुबह से लेकर शाम तक कई लोगों का बेजा कब्जा रहता है और शराब खोरी होना आम बात हो चुकी है। रेस्ट हाउस परिसर के ईदगिर्द शराब की बोतलें पड़ी रहती हैं।

दरअसल जिला मुख्यालय लोक निर्माण विभाग के द्वारा 1 करोड़ रूपये से अधिक लागत से माजन मोड़ के समीप उच्च विश्राम गृह का निर्माण कार्य कराया गया था। इस विश्राम गृह में मंत्री से लेकर संत्री तक ठहरते थे। हालांकि मंत्री सबसे ज्यादा एनटीपीसी विंध्याचल के सूर्या भवन या फिर एनसीएल मुख्यालय मोरवा के गेस्टहाउस ज्यादा पसंद है और लोक निर्माण विभाग के सर्किट हाउस माजन मोड़ में ठहरने से परहेज करते हैं। लेकिन यहां अधिकारियों के साथ-साथ छोट भईया नेताओं का ज्यादा दखल रहता है। कुछ भारतीय जनता पार्टी के ऐेसे नेता हैं, जिन्हें विश्राम गृह इतना पसंद हैं कि वे बराबर यहीं उपलब्ध रहते हैं। यह कोई उनके लिए नई बात नही है। यहां यह भी आरोप लग रहा है कि उच्च विश्राम गृह मयखाने के लिए चर्चित हो चुका है। कई शराबी यहां पहुंचते रहते हैं और यही पीते-खाते भी हैं। सर्किट हाउस के ईर्दगिर्द शराब की बोतलें इस बात की गवाह हैं कि यहां पर शराबखोरी चरम सीमा पर है। जिसे रोक पाना लोक निर्माण विभाग अमले के बस की बात नही है। यदि ऐसी शराबियों को सर्किट हाउस का अमला रोकते हुये टोकते भी हैं तो ऐसे लोग ऑख तरेरने में पीछे नही हटते। जिसके चलते सर्किट हाउस में तैनात स्टाफ भी डर के चलते चुप्पी साध लेते हैं। इसके पहले कई बार सर्किट हाउस में कथित शराबियों के द्वारा विवाद भी हो चुका है। शायद इसीलिए लोनिवि के जिम्मेदार अधिकारी भी किसी झमेले में नही पड़ना चाहते हैं। फिलहाल लोनिवि सर्किट हाउस धीरे-धीरे बदहाली के हालत से गुजरने लगा है और यहां शराबियों का अड्डा बनने से संभ्रांत लोग ठहरने से परहेज करने लगे हैं। यहां की व्यवस्था कब सुधरेगी, यह कह पाना भी जल्दबाजी होगी।

शराब के लिए किसने दी है इजाजत

आलम यह है कि लोक निर्माण विभाग के सर्किट हाउस माजन मोड़ के परिसर में शराब की बोतलें मिलना आम बात हो चुकी है। यहां रोजाना साफ-सफाई किये जाने का दावा भी किया जाता है। लेकिन अब यहां सवाल उठता है कि सर्किट हाउस में शराब परोसने व ले जाने की इजाजत दी गई है। जबकि यहां बताते चले कि सर्किट हाउस में ठहरने के पूर्व एसडीएम से अनुमति लेनी पड़ती है। इसके बाद ही ठहरने वालों को रूम एलॉट होते हैं। चर्चाएं यहां तक है कि बिना एसडीएम के अनुमति के भी लोनिवि का अमला गुपचुप तरीके से लोगों को ठहरने के लिए अनुमति दे देता है।

जगह-जगह नालियां टूटी, अमला बेसूध

करीब एक दशक पूर्व लाखों-करोड़ों रूपये की लागत से विश्राम गृह भवन एवं पार्क के साथ-साथ नालियों का निर्माण लोक निर्माण विभाग के द्वारा कराया गया था। किंतु यहां बताते चले कि सर्किट हाउस निर्माण के पूर्व स्थल के लेबलिंग करने के आड़ में लाखों रूपये का घपला करने के आरोप लगे थे। जहां मामला काफी तूल भी पकड़ा था। इसके अलावा भवन एवं नालियों के निर्माण के साथ-साथ फर्नीचर के खरीदी में भी अनियमितता करने व गुणवत्ता विहीन कार्य कराने का आरोप तत्कालीन कार्यपालन यंत्री लोनिवि पर लगाया गया था और इसके लपेटे में कार्यपालन यंत्री भी आ गये थे। अब गुणवत्ता विहीन नाली निर्माण कार्य का परिणाम सामने आ गया। जहां परिसर में बनी नाली जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।

सोनू विश्वकर्मा

लाले विश्वकर्मा, "गूँज सिंगरौली की" डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक और संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव है और वे निष्पक्ष एवं जनसेवा भाव से समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं।

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