रिश्वतखोर पटवारी गंगा सिंह सहित अधिकारियों की भी होगी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जी से शिकायत..?
रिश्वतखोर पटवारी गंगा सिंह पर गंभीर आरोप, पीड़ित मुख्यमंत्री से करेगा शिकायत ₹1.10 लाख की रिश्वत लेकर किया गुमराह...

रिश्वतखोर पटवारी गंगा सिंह पर गंभीर आरोप, पीड़ित मुख्यमंत्री से करेगा शिकायत ₹1.10 लाख की रिश्वत लेकर किया गुमराह…
रिश्वतखोर पटवारी गंगा सिंह सहित अधिकारियों की भी होगी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जी से शिकायत..?
सिंगरौली/जैतपुर — सिंगरौली जिले से एक बार फिर भ्रष्टाचार का बड़ा मामला उजागर हुआ है, जिसमें आवेदक करता ने बताया की हल्का पटवारी गंगा सिंह ने नामांतरण के एवज में ₹1.10 लाख की रिश्वत लेने और बाद में नाम रिकॉर्ड से हटाने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित रूपचंद साकेत ने अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से न्याय की गुहार लगाने की तैयारी की है।
न्याय के लिए मुख्यमंत्री से शिकायत की तैयारी..?
पीड़ित ने अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से सीधे शिकायत करने का फैसला लिया है। वे आवेदन पत्र के साथ सभी दस्तावेज और प्रमाण सौंपकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे।
पीड़ीत ने बताया कि परिवार की जमा पूंजी से यह जमीन खरीदी थी। आज मेरे पास न पैसा है, न जमीन का नाम। पटवारी ने घूस लेकर भी गुमराह किया और अधिकारी सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं। अब आखिरी उम्मीद मुख्यमंत्री जी से है।”
क्या है पूरा मामला….?
ग्राम जैतपुर निवासी रूपचंद साकेत ने बताया कि उन्होंने और उनके परिवार ने ग्राम सिद्धीकला स्थित भूमि गंगाराम वैश्य नामक व्यक्ति से खरीदी थी। जमीन का सौदा ₹16,44,000 में तय हुआ, जिसमें ₹9,95,000 चेक से व ₹6,49,000 नकद में दिए गए इसके अलावा रजिस्ट्री खर्च के तौर पर लगभग ₹2 लाख और खर्च हुए जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब नामांतरण कराने की बारी आई तो उन्होंने हल्का पटवारी गंगा सिंह से संपर्क किया पीड़ित का आरोप है कि पटवारी गंगा सिंह ने नाम चढ़ाने के एवज में ₹10,000 फोन पे से और ₹1,00,000 नकद रिश्वत की मांग की। विवश होकर रूपचंद साकेत ने यह रकम दी, जिसके बाद नामांतरण की प्रक्रिया पूरी की गई। लेकिन कुछ ही समय बाद पीड़ित का नाम रिकॉर्ड से हटा दिया गया, जिससे परिवार स्तब्ध और निराश हो गया।
₹20 लाख की ठगी का आरोप..?
रूपचंद साकेत का आरोप है कि पटवारी की मिलीभगत से भूमिस्वामी और अन्य लोगों ने उन्हें झांसे में रखकर लगभग ₹20 लाख की ठगी की। नाम हटाए जाने के बाद जब उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत की तो सिर्फ जांच का हवाला दिया गया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की गई।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल..?
इस पूरे मामले में पटवारी गंगा सिंह के साथ-साथ राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। सूत्रों का कहना है कि पटवारी को बचाने के लिए जानबूझकर जांच को लटकाया जा रहा है, जिससे प्रशासन की नीयत और नीति दोनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। गांव के अन्य लोगों और समाजसेवियों का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे भी सामूहिक रूप से कलेक्टोरेट और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर आंदोलन की राह पकड़ेंगे। अब देखना यह होगा कि भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद संज्ञान लेकर क्या सख्त कार्रवाई करते हैं, या फिर यह मामला भी अन्य फाइलों की तरह धूल फांकता रहेगा…?