बरगवां नगर परिषद क्षेत्र की सड़कों पर अंधेरे का साम्राज्य, जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही उजागर
सड़कों पर पसरा अंधेरा, जोखिम भरा आवागमन

बरगवां नगर परिषद क्षेत्र की सड़कों पर अंधेरे का साम्राज्य, जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही उजागर
बरगवां नगर परिषद क्षेत्र में नागरिकों की उम्मीदों को गहरा झटका लगा है। नगर परिषद बनने के लगभग तीन साल बाद भी स्थानीय नागरिक बुनियादी सुविधाओं की बाट जोह रहे हैं। खासकर वार्डों की सड़कों पर स्ट्रीट लाइट न लग पाने से क्षेत्रवासी भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। नगर परिषद बनने के बाद जनता को उम्मीद थी कि अब इलाके का समुचित विकास होगा और रोशनी, पानी व सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होंगी। लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है।
सड़कों पर पसरा अंधेरा, जोखिम भरा आवागमन
बरगवां के सभी 15 वार्डों में आज तक स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था पूरी नहीं हो सकी है। नतीजतन, लोगों को अंधेरे में सफर करना पड़ता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। कई स्थानों पर तो हालात इतने बदतर हैं कि शाम ढलते ही लोग घर से निकलने में डरते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें कई बार इस संबंध में शिकायतें दर्ज करनी पड़ीं, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी।
स्थानीय निवासियों से जब इस मुद्दे पर बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “यह सब सिर्फ कागजों तक ही सीमित बातें हैं। धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है। सड़कों पर चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा है।”
जनता की नाराजगी बढ़ी
स्थानीय जनता में नगर परिषद के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन अब जिम्मेदार लोग जनता से मुंह मोड़ते नजर आ रहे हैं। वार्डों में मूलभूत सुविधाओं की कमी से लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
मांग: शीघ्र समाधान हो
अब जनता की मांग है कि नगर परिषद के अधिकारी इस मुद्दे को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द सभी वार्डों में स्ट्रीट लाइट लगवाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं। अगर जल्द कार्य नहीं हुआ, तो नागरिकों द्वारा आंदोलन करने की भी चेतावनी दी जा रही है।
वार्ड पार्षद प्रतिनिधि का बयान
वार्ड क्रमांक 15 की पार्षद रचना सिंह के प्रतिनिधि गुड्डू सिंह ने बताया कि, “स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए एस्टीमेट बनाकर भेजा जा चुका है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण फाइलें अटकी पड़ी हैं। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जब ऊपर के स्तर पर ही अनदेखी हो रही है, तो हम क्या कर सकते हैं।”