मध्य प्रदेशसिंगरौली

जियावन में रेत माफियाओं का बोलबाला: टीआई और एसडीओपी की चुप्पी से बढ़ा अवैध कारोबार, पुलिस बनी मूकदर्शक!

जिले का जियावन थाना क्षेत्र इन दिनों अवैध रेत के कारोबार को लेकर चर्चा के केंद्र में है। अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अवैध रेत का धंधा दिनदहाड़े खुलेआम चल रहा है

By मीडिया कार्यालय बरगवां 

सिंगरौली। जिले का जियावन थाना क्षेत्र इन दिनों अवैध रेत के कारोबार को लेकर चर्चा के केंद्र में है। अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अवैध रेत का धंधा दिनदहाड़े खुलेआम चल रहा है, और चौंकाने वाली बात ये है कि इस पर अंकुश लगाने के बजाय स्थानीय पुलिस और जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे बैठे हैं।

सूत्रों की मानें तो एसडीओपी साहब अब थाना में बैठने लगे हैं

और उनके ही करीबी इस अवैध कारोबार पर नजर रखते हैं, जिससे संदेह की सुई सीधे पुलिस संरक्षण की ओर इशारा करती है। एक ही छत के नीचे टीआई और एसडीओपी, फिर भी चुप्पी क्यों? जिस थाना क्षेत्र में टीआई और एसडीओपी दोनों नियमित रूप से मौजूद हों, वहां इस तरह का संगठित अवैध कारोबार चलना एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या दोनों अधिकारियों की मौन स्वीकृति से यह सब हो रहा है? या फिर जानबूझकर आंखें मूंदी गई हैं? यदि दोनों को जानकारी है और फिर भी कार्रवाई नहीं हो रही, तो यह साफ तौर पर लापरवाही नहीं बल्कि मिलीभगत की बू देता है।

मुख्यालय से दूरी बनी माफियाओं की ढाल

जियावन थाना मुख्यालय से दूर स्थित है और इसी का फायदा उठाकर रेत माफिया पुलिस की नाक के नीचे अवैध रेत का व्यापार कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि यहां रात नहीं, दिन में भी रेत से भरे ट्रैक्टरों की आवाजाही बेरोकटोक हो रही है। न तो ओवरलोडिंग पर रोक है, न ही नियमों का पालन। यह सब स्थानीय पुलिस की ‘मौन स्वीकृति’ के बिना संभव नहीं।

रेत माफिया बेखौफ, जनता बेहाल

क्षेत्रीय जनता का आरोप है कि उन्होंने कई बार इस अवैध रेत परिवहन की शिकायतें कीं, परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। माफिया पूरी तरह बेखौफ हैं, क्योंकि उन्हें स्थानीय पुलिस का सीधा या परोक्ष संरक्षण प्राप्त है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है और हर हादसे के बाद वही रटा-रटाया बयान जारी कर दिया जाता है।

हर हादसे के बाद प्रशासन की “आंख खुलती है”, फिर वही ढाक के तीन पात

विगत कुछ महीनों में अवैध रेत से भरे ट्रैक्टरों के कारण कई गंभीर हादसे हो चुके हैं। कई घरों के चिराग बुझ चुके हैं, कई लोग आज भी अस्पतालों में इलाजरत हैं। लेकिन प्रशासन और पुलिस का रवैया टस से मस नहीं हो रहा। क्या प्रशासन किसी और बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?

क्या पुलिस माफिया से डरती है या साथ निभा रही है?

अब आम जनता के मन में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या पुलिस माफियाओं से डरती है या उनके साथ मिली हुई है? एसडीओपी और टीआई की निष्क्रियता और लगातार बढ़ते हादसे इस बात को और भी पुख्ता करते हैं कि कहीं न कहीं पूरी व्यवस्था में एक बड़ा “सिस्टमेटिक फेल्योर” है – या कहें तो एक “सिस्टमेटिक संरक्षण।”

अब सवाल यह है कि:

  • क्या जिले के वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे मामले पर स्वतः संज्ञान लेंगे?
  • क्या जियावन थाना क्षेत्र में रेत माफियाओं पर नकेल कसी जाएगी?
  • या फिर आने वाले दिनों में कोई और हादसा इस निष्क्रिय प्रशासन की नींद खोलने का इंतजार करेगा?
  • जवाब का इंतजार जनता को है… पर अब भरोसा डगमगाने लगा है।

सोनू विश्वकर्मा

लाले विश्वकर्मा, "गूँज सिंगरौली की" डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक और संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव है और वे निष्पक्ष एवं जनसेवा भाव से समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं।

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