Singrauli News – कोल माफियाओं के दबाव में बदली पोस्टिंग? बरगवां टीआई का तबादला सवालों के घेरे में, कार्रवाई से जनता में रोष
सिंगरौली जिले के बरगवां थाना क्षेत्र में पदस्थ टीआई राकेश साहू का अचानक तबादला कर लाइन अटैच किया जाना अब जिले में एक बड़ा प्रशासनिक और राजनैतिक मुद्दा बनता जा रहा

By मीडिया कार्यालय बरगवां
सिंगरौली जिले के बरगवां थाना क्षेत्र में पदस्थ टीआई राकेश साहू का अचानक तबादला कर लाइन अटैच किया जाना अब जिले में एक बड़ा प्रशासनिक और राजनैतिक मुद्दा बनता जा रहा है। आमजन से लेकर जानकार सूत्र तक इसे कोल माफियाओं की साजिश मान रहे हैं। हाल ही में हुए एक बड़े कोल घोटाले की जांच और कोयले की ज़ब्ती के ठीक बाद की गई यह कार्रवाई कई सवाल खड़े कर रही है।
टीआई राकेश साहू उन गिने-चुने अफसरों में शामिल माने जा रहे थे,
जिन्होंने बरगवां क्षेत्र में चल रहे अवैध कोल परिवहन, कोल मिलावट और साइडिंग पर अवैध डंपिंग के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया था। यह रवैया कोल कारोबार में लगे प्रभावशाली माफिया और राजनीतिक आकाओं को रास नहीं आया।
12,800 टन कोयला जब्ती बना ‘टर्निंग पॉइंट’
गत सोमवार को गोंदवाली साइडिंग पर पुलिस, राजस्व और खनिज विभाग की संयुक्त टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग 12,800 मैट्रिक टन कोयला जब्त किया। इस कोयले के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं और शुरुआती जानकारी में मिलावट की आशंका जताई जा रही है।
सूत्रों की मानें तो इसी कार्रवाई के बाद से ही राकेश साहू पर दबाव बनना शुरू हो गया था-
कोल माफिया और उनके राजनीतिक संरक्षक किसी भी कीमत पर यह नहीं चाहते थे कि यह जांच आगे बढ़े या ऐसे अफसर बरगवां में टिकें। इसी दबाव का नतीजा रहा कि कार्रवाई के महज कुछ ही दिनों के भीतर टीआई साहू को थाने से हटाकर लाइन अटैच कर दिया गया।
राजनीतिक हस्तक्षेप की बू, भाजपा नेता का नाम चर्चा में
जांच से जुड़े सूत्रों का दावा है कि इस मामले में एक प्रभावशाली भाजपा नेता की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, जिसका सीधा या परोक्ष संबंध इस कोल कारोबार से जुड़ा है। यह नेता लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय है और कथित रूप से कोल कारोबार में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करता रहा है।
जनता का फूटा आक्रोश, प्रशासन से जवाब मांग रही है जनता
बरगवां के स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि टीआई राकेश साहू ने कई बार कोल से जुड़े अवैध कार्यों पर अंकुश लगाया और सख्त कार्रवाई की। ऐसे अधिकारी का अचानक हटाया जाना न सिर्फ निराशाजनक है, बल्कि यह संदेश देता है कि प्रशासनिक व्यवस्था माफिया और राजनीतिक दबाव के आगे नतमस्तक होती जा रही है।
कुछ महीनों में कई तबादले — सिस्टम पर सवाल
पिछले कुछ महीनों में बरगवां थाना क्षेत्र में लगातार अफसरों के तबादले हो रहे हैं। यह ट्रेंड अपने-आप में संदेहास्पद है और यह दर्शाता है कि कोल माफिया इस क्षेत्र में किस हद तक सक्रिय और प्रभावशाली हैं। जो भी अधिकारी उनके अवैध कारोबार में बाधा बनता है, उसे किसी न किसी बहाने से हटा दिया जाता है।
प्रशासनिक चुप्पी और निष्क्रियता पर सवाल
जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से इस मामले पर अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है। न ही यह स्पष्ट किया गया है कि आखिर इतने गंभीर प्रकरण में कार्रवाई करने वाले अधिकारी को किस आधार पर हटाया गया। इससे यह आशंका और भी गहरी हो जाती है कि कहीं पूरी व्यवस्था ही राजनीतिक संरक्षण और माफियाओं के दबाव में तो नहीं काम कर रही?