Singrauli News – सिंगरौली में शिक्षा के मंदिर में मासूमों के हाथों में कॉपी पेन की जगह झाड़ू
जहां पूरे देश में तिरंगे और देशभक्ति के गीतों की गूंज थी, वहीं सिंगरौली जिले के शासकीय प्राथमिक पाठशाला सोनहरी से आई एक तस्वीर ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली की पोल खोल दी

सिंगरौली – आज़ादी के अमृत महोत्सव से एक दिन पहले, जहां पूरे देश में तिरंगे और देशभक्ति के गीतों की गूंज थी, वहीं सिंगरौली जिले के शासकीय प्राथमिक पाठशाला सोनहरी से आई एक तस्वीर ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली की पोल खोल दी। 14 अगस्त को कक्षा 1 से 5 तक के आदिवासी मासूम बच्चों के हाथों में कलम और किताबों की जगह झाड़ू थमा दी गई।
इन नौनिहालों को स्कूल की सफाई, टेबल-कुर्सियाँ पोंछने और कक्षा व्यवस्थित करने का काम सौंपा गया। इतना ही नहीं, शिक्षकों ने बच्चों को साफ-सफाई के बाद खाना खाकर स्कूल बंद करने का निर्देश भी दिया। यह नजारा उस समय का है, जब अगले ही दिन देश स्वतंत्रता दिवस की 79 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा था। यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि मध्यप्रदेश सरकार के शिक्षा सुधार के दावों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
प्रश्न साफ है:
जब मासूमों के हाथों में कलम की जगह झाड़ू पकड़ा दी जाए, तो फिर आज़ादी के मायने इन बच्चों के लिए क्या रह जाते हैं? महोत्सव से एक दिन पहले, जहां पूरे देश में तिरंगे और देशभक्ति के गीतों की गूंज थी, वहीं सिंगरौली जिले के शासकीय प्राथमिक पाठशाला सोनहरी से आई एक तस्वीर ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली की पोल खोल दी।
14 अगस्त को कक्षा 1 से 5 तक के आदिवासी मासूम बच्चों के हाथों में कलम और किताबों की जगह झाड़ू थमा दी गई। इन नौनिहालों को स्कूल की सफाई, टेबल-कुर्सियाँ पोंछने और कक्षा व्यवस्थित करने का काम सौंपा गया। इतना ही नहीं, शिक्षकों ने बच्चों को साफ-सफाई के बाद खाना खाकर स्कूल बंद करने का निर्देश भी दिया।
यह नजारा उस समय का है, जब अगले ही दिन देश स्वतंत्रता दिवस की 79वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा था। यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि मध्यप्रदेश सरकार के शिक्षा सुधार के दावों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
प्रश्न साफ है:
जब मासूमों के हाथों में कलम की जगह झाड़ू पकड़ा दी जाए, तो फिर आज़ादी के मायने इन बच्चों के लिए क्या रह जाते हैं?
बाईट स्कूली छात्र