Singrauli News – मौत के साए में सफर कर रहे मासूम बच्चे महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल प्रबंधन की लापरवाही खुलकर आई सामने ओवरलोड बसों ने बढ़ाया हादसे का खतरा, अभिभावक हर रोज जी रहे डर के साए में जिला प्रशासन की चुप्पी बनी सवाल, आखिर कब होगी जिम्मेदारों पर कार्यवाही
कारण है—स्कूल प्रबंधन की लापरवाही, जिसके चलते सैकड़ों मासूम बच्चों की जिंदगी रोजाना दांव पर लगाई जा रही है

By सोनू विश्वकर्मा
सिंगरौली। जिला मुख्यालय के बरगवां क्षेत्र स्थित महारानी लक्ष्मीबाई हायर सेकेंडरी स्कूल इन दिनों विवादों के घेरे में है। कारण है—स्कूल प्रबंधन की लापरवाही, जिसके चलते सैकड़ों मासूम बच्चों की जिंदगी रोजाना दांव पर लगाई जा रही है। स्कूल बसों में निर्धारित क्षमता से कहीं अधिक बच्चों को भरकर सड़कों पर दौड़ाना अब आम बात हो गई है। बसों में न तो सुरक्षा के इंतज़ाम हैं और न ही ट्रैफिक नियमों का पालन। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर बच्चों की सुरक्षा किसके भरोसे है?
ओवरलोड बसों में मौत का सफर
अभिभावकों का कहना है कि सुबह जब बच्चे स्कूल जाते हैं, तो बसों में ठूस-ठूसकर बैठाए जाते हैं। कई बच्चे खड़े होकर सफर करने को मजबूर होते हैं। इस दौरान यदि अचानक बस में कोई ब्रेक लगे या दुर्घटना घटित हो जाए तो हालात भयावह हो सकते हैं। आए दिन सड़क हादसों की खबरें सुनने को मिलती हैं और ऐसे में ओवरलोड बसों का यह खेल बच्चों की जिंदगी को सीधा खतरे में डाल रहा है।
स्कूल संचालक पर गंभीर आरोप
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, स्कूल संचालक सुशील शुक्ला की ओर से इस गंभीर लापरवाही पर अब तक कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। प्रबंधन की यह चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या शिक्षा के नाम पर केवल फीस वसूली ही मकसद बन गया है? बच्चों की सुरक्षा को लेकर इतनी गैरजिम्मेदारी क्यों बरती जा रही है?
प्रशासन मौन, अभिभावक परेशान
प्रदेश के मुखिया द्वारा बार-बार बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सख्त दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं, बावजूद इसके जमीनी स्तर पर हालात जस के तस हैं। जिला प्रशासन और परिवहन विभाग का मौन रहना इस बात की ओर इशारा करता है कि या तो उनकी आंखों पर पर्दा डाला गया है या फिर स्कूल प्रबंधन की ऊंची पहुंच के आगे कानून भी बेबस हो चुका है।
अभिभावकों का कहना है कि प्रतिदिन बच्चे को बस में बैठाकर भेजते समय उनके मन में डर बना रहता है कि कहीं कोई बड़ा हादसा न हो जाए। यह भय हर उस माता-पिता के दिल में घर कर गया है जिनके बच्चे इस स्कूल की बसों में सफर करते हैं।
विरोध तेज करने की चेतावनी
अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ खुलकर विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही इस लापरवाही पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वे सड़कों पर उतरकर बड़े आंदोलन की राह अपनाएंगे। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर किसी भी बच्चे के साथ अनहोनी हुई तो इसकी पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन और जिला प्रशासन की होगी।
बड़ा सवाल: कब जागेगा प्रशासन?
यह मामला केवल एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। आखिर जब नियम-कानून स्पष्ट रूप से बने हैं, तो उनका पालन कराने में इतनी लापरवाही क्यों? बच्चों की सुरक्षा को लेकर शासन-प्रशासन कब जिम्मेदारी निभाएगा?