सिंगरौली में साकार ग्लोबल के गुंडों का कहर: देवरा ग्राम में महिला के घर में घुसकर हमला, पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप
जिले में रेत उत्खनन का ठेका संभाल रही साकार ग्लोबल कंपनी और उसके गुर्गों की दबंगई एक बार फिर सामने आई है

सिंगरौली, मध्यप्रदेश। जिले में रेत उत्खनन का ठेका संभाल रही साकार ग्लोबल कंपनी और उसके गुर्गों की दबंगई एक बार फिर सामने आई है। देवरा ग्राम में कंपनी से जुड़े लोगों ने एक किसान महिला के घर में घुसकर न सिर्फ तोड़फोड़ की, बल्कि मारपीट भी की। पीड़िता का कहना है कि उसका रेत कारोबार से कोई लेना-देना नहीं है, इसके बावजूद उस पर और उसके परिवार पर हमला किया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, स्कॉर्पियो से आए हमलावरों ने पहले महिला से रेत के संबंध में पूछताछ की, और जब उसने अनभिज्ञता जाहिर की, तो गुंडे उग्र हो गए और घर में घुसकर जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान महिला और उसका परिवार दहशत में आ गया।
घटना के बाद पीड़िता ने बैढ़न कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन न्याय मिलने के बजाय पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ खड़े हो गए। आरोप है कि थाना प्रभारी ने हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बजाय, दोनों पक्षों पर एफआईआर दर्ज कर दी — यानी पीड़िता पर भी केस दर्ज कर दिया गया।
पीड़ित महिला का कहना है,
“हम किसान हैं, रेत माफिया से हमारा कोई संबंध नहीं। हमारे घर में घुसकर हमला किया गया, और अब हम पर ही झूठा केस डाल दिया गया। आखिर हम कहां जाएं?” गांव के लोगों ने बताया कि साकार ग्लोबल के गुंडे पहले भी कई बार इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। खुलेआम मारपीट, धमकियां और तोड़फोड़ आम हो गई है, लेकिन पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदारों को पुलिस की शह हासिल है, जिससे उनका मनोबल लगातार बढ़ रहा है।
स्थानीय लोगों का सवाल है कि अगर सरकार ने साकार ग्लोबल को सिर्फ रेत उत्खनन का ठेका दिया है, तो उन्हें गांवों में घुसकर गुंडागर्दी करने की इजाज़त किसने दी? क्या अब कानून और प्रशासन सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गया है?
जनता और पीड़ित परिवार की मांग है:
- साकार ग्लोबल के हमलावर गुंडों पर सख्त कार्रवाई हो
- पीड़ित महिला और परिवार पर दर्ज झूठा मुकदमा हटाया जाए
- पुलिस प्रशासन की निष्पक्ष जांच हो
- रेत माफिया पर लगाम कसने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं
यह घटना एक बार फिर सिंगरौली जिले में रेत माफिया और प्रशासन की मिलीभगत के गंभीर सवाल खड़े करती है। देखना होगा कि शासन-प्रशासन अब क्या रुख अपनाता है — न्याय देगा या रेत माफियाओं को और खुली छूट?