Singrauli News मंदिर या मौत का मुख?—सिंगरौली में बच्चों की जान से खिलवाड़ करती स्कूल बसें
स्कूल बस या चलती मौत? बरगवां में बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़, जिम्मेदार मौन"

By सोनू विश्वकर्मा
सिंगरौली (बरगवां)। एक ओर जहां जिले में लगातार यातायात नियमों के पालन को लेकर सख्ती बरती जा रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूली बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मामलों में गंभीर लापरवाही उजागर हो रही है। बरगवां स्थित सांदीपनि सी.एम. राइज स्कूल की बसें बच्चों की जिंदगियों को दांव पर लगा रही हैं। इन वाहनों में से कई अधूरे दस्तावेजों, बिना फिटनेस सर्टिफिकेट और मानकों की अनदेखी के साथ सड़कों पर दौड़ रही हैं।
नियमों को ताक पर रखकर दौड़ रहीं स्कूली गाड़ियां
नियमों के अनुसार स्कूली वाहनों को पीले रंग में होना चाहिए और तय सीटों से अधिक बच्चों को बैठाने की अनुमति नहीं होती। लेकिन हकीकत यह है कि यहां की बसें अलग-अलग रंगों की हैं, और उनमें क्षमता से कहीं अधिक बच्चे ठूंसे जा रहे हैं। कई बसों में बच्चे लटकते हुए सफर करते दिखाई देते हैं, जिससे किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।
अधूरे कागज़, ओवरलोडि जिम्मेदारों की चुप्पी
सूत्रों की माने तो इन गाड़ियों के पास ना तो वैध फिटनेस वाहन हर दिन बच्चों को स्कूल ले जाने और लाने का काम कर रहे हैं। स्थानीय लोगों में चर्चा है कि परिवहन विभाग और वाहन मालिकों की मिलीभगत से यह अवैध परिवहन धड़ल्ले से चल रहा है। यदि विभाग समय पर कार्रवाई करता तो शायद ये हालात नहीं होते।
प्राचार्य और वाहन मालिकों की मिलीभगत का आरोप
स्थानीय लोगों और कुछ अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन और वाहन मालिकों के बीच मिलीभगत है। यही कारण है कि इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही। स्कूली बच्चों को जिन हालातों में बसों में भरकर लाया ले जाया जा रहा है, वह किसी हादसे को निमंत्रण देने जैसा है।
“ऊपर से परमिशन” की आड़ में खतरा बढ़ा
जब इस मुद्दे पर स्कूल के कुछ शिक्षकों से बात की गई तो उनका कहना था कि “ऊपर से ज्यादा बच्चों को लाने की परमिशन मिली है”। हालांकि इसकी कोई ठोस पुष्टि नहीं की जा सकी और यह जांच का विषय है। यदि ऐसा है, तो यह और भी गंभीर मामला बन जाता है।
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
अब देखना यह है कि इस पूरे मामले में परिवहन विभाग, जिला प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी क्या कार्रवाई करते हैं। क्या बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइले कर रह जाएगा?