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47 साल गुरिल्ला युद्ध लड़ा, अब हथियार छोड़ने की अपील, कुर्दिस्तान का सपना देखने वाले नेता की कहानी

धरती के मानचित्र पर मिडिल ईस्ट में बसे देश तुर्की से एक बड़ी खबर है. जेल में बंद कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) के नेता अब्दुल्ला ओकलान ने इस समूह से हथियार छोड़ने और इस पार्टी को ही भंग करने का आह्वान किया है. 

धरती के मानचित्र पर मिडिल ईस्ट में बसे देश तुर्की से एक बड़ी खबर है. जेल में बंद कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) के नेता अब्दुल्ला ओकलान ने इस समूह से हथियार छोड़ने और इस पार्टी को ही भंग करने का आह्वान किया है. तुर्की के लिए यह एक बड़ा डेवलपमेंट है. वजह है कि यह उग्रवादी कुर्द समूहों और तुर्की की सरकार के बीच पिछले 4 दशक से जारी लड़ाई को खत्म करने का रास्ता खोलता है. साथ ही मिडिल ईस्ट के बाकी हिस्सों पर भी इसका दूरगामी प्रभाव हो सकता है.

इस एक्सप्लेनर में हम आपको बताएंगे:

  1. कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी क्या है, इसकी शुरुआत कैसे हुई?
  2. PKK के लीडर अब्दुल्ला ओकलान कौन हैं?
  3. तुर्की में शांति की यह बयार अभी क्यों आई?
  4. इसका तुर्की, सीरिया और पूरे मिडिल ईस्ट पर क्या असर होगा?

कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी क्या है?

प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1922 में ओटोमन साम्राज्य का पतन हो गया. इसके बाद कुर्द जनजाति के लिए एक अलग और आजाद देश बनाने की तमाम कोशिशें फेल हो गईं. तुर्की, ईरान, इराक और सीरिया में रह रहे कुर्द अल्पसंख्यक बन गए. तुर्की में तो कुर्दों की हालत ज्यादा ही खराब थी.

तुर्की में कुर्द अधिकारों का इतना अधिक दमन किया गया कि कई दशकों तक वहां की सरकार ने इस जातीय समूह के अस्तित्व को ही पूरी तरह से नकार दिया. इसके बाद एक वामपंथी गुरिल्ला आंदोलन के रूप में कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी की स्थापना 1978 में हुई. 

अमेरिका के डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस के ऑफिर की वेबसाइट के अनुसार इसका लक्ष्य था कि एक एकीकृत और स्वतंत्र कुर्दिस्तान बने. इस समूह की चाहत थी कि वह कुर्द अधिकारों और उसे मान्यता देने के लिए ईरान, इराक, सीरिया और तुर्की के कुर्द क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण हासिल कर ले.

इस आंदोलन के साथ इस पूरे क्षेत्र के रुक-रुक कर लड़ाई लड़ाई हुई और कम से कम 40,000 लोग मारे गए हैं. साथ ही सैकड़ों हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. हालांकि 1990 के दशक में, PKK ने आजादी की अपनी मांग छोड़ दी. इसके बजाय इसने मांग की कि उन्हें तुर्की के अंदर ही अधिक स्वायत्तता मिले. ध्यान रहे कि आज भी इसे तुर्की, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका एक आतंकवादी संगठन मानता है.

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लाले विश्वकर्मा, "गूँज सिंगरौली की" डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक और संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव है और वे निष्पक्ष एवं जनसेवा भाव से समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं।

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